भोजपुरी फिल्म जगत हर साल कुछ न कुछ विशेषता लेकर आता है, ऐसे में साल २००९ से भी अपेक्षा थी की इस बार भी कुछ नया हो और हुआ भी कुछ ऐसा ही। पिछले साल रिलीज़ हुई ३२ फिल्मो की तुलना में इस साल फिल्मो का आंकड़ा लगभग पचास तक पहुँच गया और इस फिल्म जगत के लिए ख़ुशी की बात तो यह रही की अधिकतर फिल्मो ने निर्माताओ को बहुत ज्यादा निराश नहीं किया। जहाँ तक भोजपुरिया सितारों की बात है पिछले साल नंबर १ की कुर्सी पर कब्ज़ा जमाने वाले दिनेश लाल यादव निरहुआ ने इस साल भी अपनी बादशाहत कायम रखी , लेकिन भोजपुरी के एक और लोकगायक पवन सिंह ने इस साल धमाकेदार रूप से अपनी मौजूदगी दर्ज करते हुए उन्हें जबरदस्त चुनौती पेश की। इन दोनों से अलग रविकिशन ने इस साल भी ग्लेमर जगत में भोजपुरी को नयी ऊंचाई दी और इस साल भी साबित कर दिया की गैर भोजपुरी दर्शको में किसी भी भोजपुरी कलाकारों की तुलना में वो ज्यादा लोकप्रिय हैं। इन सबसे अलग कभी भोजपुरी फिल्म जगत को नयी ऊंचाई देने वाले मनोज तिवारी मृदुल का फ़िल्मी प्रदर्शन इस साल निराशाजनक रहा।
अगर पूरे साल की भोजपुरी फिल्मो पर नज़र डाली जाये तो साल २००९ काफी अच्छा माना जायेगा। साल की शुरुवात निर्माता से निर्देशक बने सुनील बूबना की फिल्म किशन अर्जुन से हुई जो बुरी तरह से बॉक्स ऑफिस पर लुढ़क गयी। उसके बाद दिनेश लाल यादव निरहुआ और पवन सिंह अभिनीत फिल्म प्रतिज्ञा रिलीज़ हुई जिसने दर्शको का जबरदस्त प्यार पाया और फिल्म बिहार, उत्तरप्रदेश सहित हर टेरेटरी में सुपरहिट सावित हुई। फिर फरबरी माह में एक बार फिर भोजपुरी फिल्मो को निराशा हाथ लगी। इस माह रिलीज़ हुई मनोज तिवारी-सुदीप पांडे अभिनीत दरोगाजी चोरी हो गइल, रविकिशन अभिनीत सजना सजाई द मांग और विनय आनंद अभिनीत हम हैं गंवार रिलीज़ हुई और तीनो ही फिल्मे दर्शको द्वारा नकार दी गयी। होली के अवसर पर एक ही दिन रविकिशन की बिहारी माफिया, मनोज तिवारी की हम हैं खलनायक और निरहुआ की हो गइनी दीवाना तोहरा प्यार में रिलीज़ हुई जिसका खामियाजा तीनो को उठाना पड़ा , फिर भी हो गइनी दीवाना तोहरा प्यार में दोनों फिल्मो को पछाड़ते हुए काफी आगे निकल गयी। अप्रेल में रविकिशन विनय आनंद की खटाई लाल मिठाई लाल, अमर उपाध्याय की इ रिश्ता अनमोल बा और नेपाली स्टार निखिल उप्रेती की सबसे बड़ा रुपैया रिलीज़ हुई लेकिन तीनो ही फिल्म कोई करिश्मा दिखने में नाकाम रही। मई माह ने एक बार फिर फिल्म जगत को फिल गुड का एहसास कराया। निर्माता रमाकांत प्रसाद और निर्देशक राजकुमार आर.पांडे की निरहुआ अभिनीत दीवाना ने जबरदस्त कामयावी हासिल की और देश भर में लगभग पचीस सिनेमाघरों में पचास दिवस का सफ़र पूरा किया । इसी माह रिलीज़ हुई जूनियर निरहुआ प्रवेशलाल यादव की फिल्म चलनी के चालाल दूल्हा अपने गीत संगीत और पटकथा के कारण दर्शको को अपनी ओर खींचने में सफल रही। इसी माह प्रदर्शित हुई रविकिशन अभिनीत भूमिपुत्र और मुन्नीबाई नौटंकी बाई ने भी अच्छा व्यवसाय किया। जून में प्रेम के रोग भइल से निरहुआ ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और आखिरकार इन्हें सफलता मिल ही गयी । जुलाई का महिना भोजपुरी फिल्म जगत के लिए खास रहा क्योंकि तोहार नइखे कौनो जोड़ तू बेजोड़ बाडू हो से भोजपुरिया आकाश पर पवन सिंह नामक एक साधारण सा तारा अचानक टिमटिमाने लगा , इसे बल मिला उनकी इसी माह रिलीज़ हुई अगली फिल्म पवन पुरवैया से , जिसे अच्छी ओपनिंग मिली। इन दोनों फिल्मो ने अचानक पवन सिंह का ग्राफ काफी बाधा दिया। अगले पांच महीनो में आई फिल्मो में रंगबाज़ दरोगा, परिवार , उमरिया कैली तोहरे नाम , कानून हमरा मुट्ठी में, और ओढनिया कमाल करे ने अच्छा व्यवसाय किया । साल का अंत भोजपुरी फिल्म जगत के लिए काफी निराशाजनक हुआ । बड़े पैमाने पर प्रचार प्रसार के वावजूद ब्रिजवा बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही। इन फिल्मो के आलावा आपन माटी आपन देश, जाड़े में बलमा प्यारा लागे, हम हैं हीरो हिन्दुस्तानी सहित कुछ ही फिल्म ऐसी रही जो औसत का आंकड़ा छु पाई।
कुल मिलकर यही कहा जा सकता है की इस साल भी सितारों का फिल्म जगत में बोलबाला रहा और दर्शको ने गैर सितारों की फिल्मो को नकार दिया । नए सितारों में उत्तम कुमार ने गोरकी पतरकी रे से और आशीष गुप्ता ने उमरिया कैली तोहरे नाम से अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। वैसे पूरे साल निरहुआ का जलवा बॉक्स ऑफिस पर चलता रहा , पवन सिंह ने भोजपुरी के चौथे सुपरस्टार की कुर्सी विनय आनंद, पंकज केसरी और सुदीप पांडे को मीलों पीछे छोड़ते हुए हथिया ली। अभिनेत्रियो ने पाखी हेगड़े निरहुआ , रविकिशन और पवन सिंह के साथ आई और हिट रही। रानी चटर्जी ने भी अपने बदौलत कई फिल्मो को सफलता का स्वाद चखाया । इसके अलावा मोनालिसा को भी पसंद किया गया। संगीत के लिहाज से प्रतिज्ञा साल की सबसे बड़ी हिट रही, जबकि दीवाना, हो गइनी दीवाना तोहरा प्यार में, तोहार नइखे कोनो......, कानून हमरा मुट्ठी में ओढनिया कमाल करे, मुन्नी बाई नौटंकी बाई और उमरिया कैली तोहरे नाम के गाने भी काफी पसंद किये गए। साल २००९ में भोजपुरी का दायरा बढ़ा और महुआ नामक एक मनोरंजन चैनल का उदय हुआ। महुआ ने अपने धारावाहिकों और फिल्मो से दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया । महुआ के शो सुर संग्राम ने तो भोजपुरिया क्षेत्र में जबरदस्त वाह वाही लूटी । ये भोजपुरी का ही कमाल ही है की जी, कलर्स, स्टार प्लस सहित कई टेलीविजन भोजपुरिया रंग में रंग गए । साल २००९ में रविकिशन ने भी हिंदी फिल्मो और टीवी शो से भोजपुरी की जबरदस्त छठा बिखरी और यह सावित कर दिया की हर क्षेत्र के दर्शको में पैठ रखने वाले भोजपुरी के वो इकलौते सितारे हैं।
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