Thursday, August 11, 2016

युथ बुग्रेड के कंधो पर कमान

अनुभव और जोश ये दो चीज़ इंसान को ऊंचाई तक पहुचाने में मददगार साबित होता है । आप कितने भी अनुभवी क्यों ना हो अगर आपमें जोश नहीं है तो मंजिल का रास्ता कठिनाइयों से भरा होगा दुसरी तरफ मात्र जोश से भी मंजिल नहीं पायी जा सकती है । हर क्षेत्र में सफलता का यही मूलमंत्र है । लक्ष्य जोश अनुभव की तिकड़ी ही सही दिशा में सही काम की ओर ले जा सकती है । यही बात आजकल भोजपुरी फ़िल्म जगत में लागू हो रही है क्योंकि अब पूरी भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्रीज युवाओं के कंधे पर टिका है । पचपन साल पुरानी इस फिल्म जगत में अब जाकर युवाओ का साम्राज्य कायम हुआ है । अब एक नज़र डालते हैं उन युवाओं पर जिनके कंधो पर भोजपुरी फ़िल्म जगत का भार अब आ चुका है । निर्माता शब्द सुनकर सबको लगता है कोई अधेड़ होगा लेकिन भोजपूरी में अब अधेड़ निर्माता कम ही हैं उनकी जगह युवाओं ने ले ली है । संयोगिता फिल्म्स की सहयोगी कंपनी पूर्वांचल टाकिज को उठा रखे हैं विकास कुमार । इस युवा निर्माता ने अपनी पहली ही फिल्म साजन चले ससुराल 2 में साबित कर दिया है की उनमे अनुभव भी है और जोश भी । निरहुआ इंटरटेनमेंट ने लगातार 8 अच्छी फिल्में भोजपुरी को दी है और इस कंपनी को संभाल रहे हैं निरहुआ के छोटे भाई प्रवेश लाल यादव । उन्होंने बखूबी अपने दायित्य का निर्वाहन किया है । निरहूआ इंटरटेनमेंट ने ही अपनी फ़िल्म निरहुआ हिन्दुस्तानी से एक और युवा निर्माता राहुल खान को भोजपुरी में उतारा था । अब वो फ़िल्म निर्माण में सोलो पारी खेलने के लिए तैयार हैं । पटना से पाकिस्तान जैसी सुपर हिट फ़िल्म बना चुके अनंजय रघुराज उन युवाओं में से एक हैं जिनके लिए फिल्म ही सब कुछ है । यानि वो फ़िल्म को ही जीते हैं । समीर आफ्ताव ने याशी फिल्म्स के साथ मिलकर कई फिल्मो का निर्माण किया है । संयोगिता फिल्म्स की कई फिल्मो में सहायक निर्देशक से अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू करने वाले अजय श्रीवास्तव भी सफल निर्माता निर्देशक माने जाते हैं । लेखन से अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू करने वाले संतोष मिश्रा की गिनती आज अच्छे निर्देशक के रूप में होती है । प्रियंका चोपड़ा की भोजपुरी फ़िल्म बम बम बोल रहा है काशी का निर्देशन भी उन्होंने ही किया था । यहाँ प्रेम राय का जिक्र करना भी जरुरी है । भवन निर्माण से फ़िल्म निर्माण में उतरे प्रेम राय ने अपनी तीन रिलीज़ फिल्मो से खुद को साबित कर दिया है और अब वे तीन फिल्मो का निर्माण एक साथ कर रहे हैं । मंजुल ठाकुर , प्रेमांशु सिंह की गिनती अच्छे निर्देशक के रूप में होती है । राजपूत फिल्म् फैक्ट्री व इंदिरा फिल्म्स के निर्माता सन्जय सिंह राजपूत , भूपेंद्र विजय सिंह की पूरी टीम युवाओं की है । इनके अलावा भी कई युवा ऐसे हैं जिनमे फ़िल्म के प्रति गजब का जोश है । यहां जिन जिन लोगो का जिक्र हुआ है उनमे सबके पास अनुभव भी काफी है । विकास कुमार निर्माता बनने से पहले 10 फिल्मो के निर्माण में आलोक कुमार के सहयोगी रहे हैं । प्रवेश लाल यादव को 8 फिल्मो का अनुभव है । संतोष मिश्रा को दो दर्जन से भी अधिक फिल्मो के लेखन का अनुभव है । कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है की भोजपुरी फ़िल्म जगत अब मजबूत कंधो पर टिकी है । अक्सर युवा वर्ग ही फ़िल्म जगत में कुछ नया प्रयोग करते हैं और इसकी शुरुआत भी अब हो चुकी है । हमारा यहाँ युवाओं का महिमामंडन कर अन्य निर्माता निर्देशको को नीचा दिखाने का मकसद कतई नहीं है । बहरहाल , भोजपुरी की लहलहाती फसल बुजुर्ग रूपी खेत की वजह से ही है युवा वर्ग वो खाद हैं जिनके कारण फसल लहलहा रही हैं ।

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