Wednesday, August 17, 2016

भोजपुरी में देशभक्ति का अभाव ?

आज हम अपनी आजादी की 70 वी वर्षगांठ मना चुके हैं और भोजपुरी फ़िल्म जगत भी 55 साल की हो गयी है । हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर हिंदी के फ़िल्मी चैनल्स पर हिंदी की देशभक्ति से ओत प्रोत फिल्में दिखाई जाती है । इन फिल्मो में देश के लिए जान देने का जज्बा हासिल होता है । हिंदी के म्यूजिक चैनल्स पर दिन भर एक से बढ़कर एक देशभक्ति से प्रेरित गाने चलते रहते हैं । लाउडस्पीकर पर भी हिंदी के देशभक्ति वाले गाने बजते हैं । भोजपुरी क्षेत्र में भी हिंदी के ही गाने बजते हैं । अहम् सवाल यहाँ यह उठता है की क्या 55 साल में हम देशभक्ति वाले गाने देने में नाकाम रहे हैं ?भोजपुरी फिल्मो के शुरूआती दौर में में कई अच्छी सामजिक फिल्में बनी । यह वह दौर था जब भोजपुरी के निर्माता गण अपनी भाषा का वजूद कायम रखना चाहते थे । शुरुवात के दस साल में अच्छी फिल्मो की भरमार थी लेकिन उनमे कोई भी फ़िल्म ऐसी नहीं थी जिनमे देशभक्ति झलकती हो । सामजिक विषमता , सामजिक समरसता तो लगभग हर फिल्मो में दिखी लेकिन देश के प्रति भावना जगाने वाली बात कहीं नज़र नहीं आई । हालांकि उस दौर में हम चीन से लड़ाई लड़कर हार चुके थे । देश के लिए हजारो सैनिको ने कुर्बानी दी थी फिर भी भोजपुरी के फिल्मकारों ने इसे नज़रअंदाज कर दिया । हो सकता है बजट की समस्या रही हो जबकि हिंदी फ़िल्म जगत में उस दौर में एक से बढ़कर एक देशभक्ति वाली फिल्में बनी और गाने बने । भोजपुरी का दुसरा चरण भी इस से दूर रहा । उस दौर में भी गंगा किनारे मोरा गाँव जैसी कई मर्मस्पर्शी फिल्में बनी लेकिन एक भी देशभक्ति पर आधारित फिल्में नहीं बनी । इन दोनों दौर की भोजपुरी फिल्मो में माई , अचरा , चुनरी और गंगा का बोलबाला था । लेकिन भोजपुरी फिल्मो का तीसरा दौर यानि आज की भोजपुरी में माई और गंगा तो रही लेकिन अचरा और चुनरी की जगह चोली ने ले लिया । नौटंकी के नाम पर आयटम की शुरुआत हो गयी । हम दिनों दिन आधुनिक होते गए ,  आधुनिकता के कारण अपने मूल से भटक गए लेकिन इस दौर के फिल्मकारों में कहीं ना कहीं देशभक्ति जागी । संभवतः आपन माटी आपन देश पहली भोजपुरी फ़िल्म थी जिसमे देश के लिए मर मिटने वाले एक फौजी के संघर्ष को दिखाया गया था । इस फ़िल्म में तिरंगा लहराते हुए एक देशभक्ति वाला गाना भी था । गाना कर्णप्रिय था लेकिन लोगो की जुबान पर चढ़ नहीं पाया । फिर आई केहू हमसे जीत ना पायी और फौजी । तीनो ही फिल्मो की समानता यही थी की देशप्रेम जगाते जगाते फ़िल्म राह से भटक गयी । बरसो बाद पटना से पाकिस्तान ने एक मधुर देशभक्ति की भावना से ओत प्रोत गाना आया । गाना काफी अच्छा था , फिल्माया भी काफी अच्छे तरीके से गया था । फ़िल्म सुपर डुपर हिट रही लेकिन गाने गुमनाम हो गए । आजकल पाकिस्तान सीरीज की फिल्मो में भी देश भक्ति वाले गाने परदे पर दिखे पर दर्शक इन फिल्मो के  दूसरे गानों को गुनगुनाते सिनेमाघरों से बाहर निकले । मैंने स्वतंत्रता दिवस के दिन सोशल मीडिया पर जब आम दर्शको से इसकी जानकारी माँगी तो मात्र कुछ लोगो ने ही सही जानकारी दी वरना अधिकतर लोगो ने मजाक ही उड़ाया भोजपुरी के गानों का । एक अभिनेता धामा वर्मा ने अपने कॉमेंट में बताया की भरत शर्मा व्यास ने अपने  देशभक्ति एल्बम में कई अच्छे गानों को गाया है । आपन माटी आपन देश फ़िल्म के गानों की जानकारी दी अभिनेता धीरज पंडित शर्मा ने जबकि पी आर ओ शुभा सिंह ने पटना से पाकिस्तान के गाने के बारे में बताया ।   बहरहाल , भोजपुरी फ़िल्म और एल्बम मिलाकर सौ से भी अधिक देशभक्ति वाले गाने बने हैं । अधिकतर गाने कर्णप्रिय भी हैं पर दर्शको और श्रोताओं ने इसे ख़ास तबज्जो नहीं दी है और फिल्मकारों ने भी मात्र पाकिस्तान को गाली देने के अलावा ऐसा कुछ नहीं किया जिसपर गर्व किया जा सके की हमने देशभक्ति की भावना जगाई ।

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